सुलतानपुर।जिस समाज में लोक गीत नहीं वह समाज पंगु है । आज जब तकनीकी ने लोगों के मन को दूर कर दिया है तब अपनों से जुड़े रहने के लिए लोकगीतों की जरूरत बढ़ गई है ।' यह बातें चर्चित कवि अष्टभुजा शुक्ल ने कहीं ।
वे लोक सरोकार समिति द्वारा कमला नेहरू भौतिक एवं सामाजिक संस्थान के अम्बेडकर सभागार में आयोजित कमल नयन पाण्डेय कृत 'अवधी लोकगीत : एक अन्तर्यात्रा ' के विमोचन एवं कृति चर्चा पर बतौर मुख्य अतिथि सम्बोधित कर रहे थे ।
मुख्य अतिथि ने कहा - 'लोक के माध्यम से ही हम समाज से जुड़े रह सकते हैं । ऐसे समय में जब भाषा के सामने संकट खड़ा हो गया है तब लोकभाषाओं को सहेजने का काम काफी साहस भरा है । कमल नयन पाण्डेय की नई कृति ने यह साहस उठाया है ।'
उन्होंने कहा कि 'लोक की संवेदनाओं का आहरण शिष्ट समाज सदियों से करता रहा है । इसको बचाया जाना आवश्यक है । यह काम कमल नयन पाण्डेय ने बखूबी किया है ।'
संगोष्ठी की शुरुआत करते हुए कार्यक्रम संयोजक व राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी विभागाध्यक्ष इन्द्रमणि कुमार ने कहा - ' कमल नयन पाण्डेय रचनाओं को लोक की कसौटी पर कसते हैं । लोक उनके चिंतन का केन्द्र बिन्दु है । कमल नयन पाण्डेय की पुस्तक ने लोक संस्कृति को सहेजने का काम किया है ।'
वरिष्ठ सर्जन डॉ . ए. के . सिंह ने कहा - 'परेशानियों में रहने वाला लोक समाज गीतों के माध्यम से नई उर्जा लेता है । कमल नयन पाण्डेय की आज विमोचित कृति पढ़कर हम यह जान सकते हैं कि लोक गीत हमारे अंदर सामाजिक , सांस्कृतिक व राजनैतिक चेतना पैदा करते हैं ।'
कृतिकार कमल नयन पाण्डेय ने कहा कि 'बाजार ने व्यक्ति को बेदखल कर दिया है । इसको बचाने की ताकत लोकगीतों में है ।लोकगीत लोक हृदय का विस्तार है ।'
अध्यक्षता करते हुये प्राचार्य डॉ.राधेश्याम सिंह ने कहा - कमल नयन पाण्डेय एक ऐसे भारतीय साम्यवादी हैं जो लोक भाषा और लोकतत्व को पहचानते हैं । उनकी कृति बहुत महत्वपूर्ण है।
इससे पूर्व मंचस्थ अतिथियों ने युग तेवर के सम्पादक व वरिष्ठ साहित्यकार कमल नयन पाण्डेय की नवीनतम कृति ' अवधी लोकगीत:एक अन्तर्यात्रा' का लोकार्पण किया ।
संचालन डॉ.धर्मपाल सिंह व आभार ज्ञापन डॉ.विजय प्रताप सिंह ने किया ।
इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार आद्या प्रसाद सिंह 'प्रदीप' , मथुरा प्रसाद सिंह'जटायु' ,मदन मोहन पाण्डेय 'मनोज' , जाहिल सुलतानपुरी , ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह 'रवि' बलदेव सिंह ,सोमेश शेखर चंद्र ,हबीब अजमली , डॉ नीलम तिवारी , डॉ सुशील कुमार सिंह देवेश , आशुतोष , राजेश अनेक प्रमुख लोग मौजूद रहे ।
लोक के माध्यम से ही हम समाज से जुड़े रह सकते हैं