नहीं रहे वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. जयसिंह व्यथित जनपद के साहित्यकारों में शोक 

सुलतानपुर ।  लम्भुआ क्षेत्र के विक्रमपुर गांव निवासी  वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.जयसिंह व्यथित का उनके अहमदाबाद निवास पर निधन हो गया । वे 83 वर्ष के थे ।शनिवार की शाम अहमदाबाद में उनके पार्थिव शरीर को अग्नि दी गई । डॉ. व्यथित के निधन से जनपद के साहित्यकारों में शोक व्याप्त है । 
 डॉ व्यथित को याद करते हुये राणा प्रताप स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी प्रवक्ता ज्ञानेन्द्र विक्रम सिंह 'रवि' ने बताया कि -' गुजरात हिन्दी विद्यापीठ के संस्थापक डॉ.व्यथित ने दो दर्जन से अधिक कृतियों की रचना की है । उ.प्र.हिन्दी संस्थान समेत देश की अनेक प्रमुख संस्थाओं से उन्हें कई सम्मान प्राप्त हो चुका था । 
सुलतानपुर की साहित्यसेवा से उनका गहरा सम्बंध था ।अपने गांव विक्रमपुर में उन्होंने विश्व अवधी संस्थान का मुख्यालय स्थापित किया था ।
 प्रति वर्ष जनपद के साहित्यकारों का सम्मान व साहित्यिक संगोष्ठियों का आयोजन करके उन्होंने ख्याति अर्जित की थी । उनके सम्पादन में लगातार मासिक पत्रिका  'रैन बसेरा' निकलती रही ।' 
वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.आद्या प्रसाद सिंह 'प्रदीप' ने बताया कि 'सर्वोदयी विचारधारा से प्रभावित शोषित,पीड़ित मानव समाज की व्यथा से व्यथित डॉ.व्यथित का जीवन एक रोचक कथा के समान है ।'
 आशुकवि मथुरा प्रसाद सिंह'जटायु' ने कहा कि - व्यथित जी बचपन से ही साहित्यिक , सामाजिक व सांस्कृतिक प्रवृत्तियों से ओतप्रोत थे । उनसे जनपद के साहित्यकारों का दशकों पुराना सम्बंध रहा है ।'
डॉ .सुशील कुमार पाण्डेय 'साहित्येन्दु' ने डा.व्यथित को याद करते हुए कहा कि एक अहिन्दी प्रदेश में हिन्दीभाषा  के विद्यालय ,संस्थान ,पत्रिका आदि खड़ा करने वाले व्यथित जी के ऊपर विभिन्न विश्वविद्यालयों में शोध कार्य सम्पन्न हो चुका है ।
चर्चित साहित्यिक संस्था अवधी मंच , वरिष्ठ साहित्यकार  कमल नयन पाण्डेय ,डॉ.ओंकारनाथ द्विवेदी , डॉ.शोभनाथ शुक्ल , डॉ रामप्यारे प्रजापति ,पवन कुमार सिंह समेत अनेक साहित्यकारों ने शोक प्रगट किया है ।