शिक्षा से होता है देश का विकास- राज्यपाल


सुल्तानपुर/ उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने जनपद में आयोजित 'प्राथमिक शिक्षा : जागृति अभियान' कार्यक्रम में कहा कि असली शिक्षक वही है जो बच्चों में परिवर्तन ले आए। शिक्षा से होता है देश का विकास उन्होंने प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था में बदलाव के लिए कई टिप्स दिए और गुजरात राज्य में शिक्षा मंत्री रहते हुए अपने अनुभवों को मंच से साझा किया।
शहर के पं. रामनरेश त्रिपाठी सभागार में आयोजित कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित करते हुए श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि यहां काशी प्रान्त उपाध्यक्ष रामचन्द्र मिश्र की ओर से प्राथमिक विद्यालयों को गोद लेकर उसके विकास की जो मुहिम चलाई जा रही है, वह बहुत ही सराहनीय है। उन्होंने कहा कि हम धीरे-धीरे अपनी जिम्मेदारियों को भूल रहे हैं। लोग प्राइमरी से ज्यादा ध्यान उच्च शिक्षा पर देते हैं, जबकि बुनियादी शिक्षा पर अधिक सतर्क रहने की जरूरत होती है। प्राथमिक शिक्षा को बेहतर बनाने के लिए जब तक पूरा गांव व समाज जिम्मेदारी नहीं लेगा, तब तक कुछ भी संभव नहीं है।
श्रीमती पटेल ने गुजरात प्रान्त के शिक्षा मंत्री रहते हुए अपने द्वारा किए गए प्रयासों के कुछ उदाहरण भी प्रस्तुत किए। उन्होंने कहा कि जो लोग अपने पूर्वजों के नाम पर स्कूल बनवाना चाहते थे, उन्हें अवसर दिया गया। उन स्कूलों में उनके पूर्वजों के नाम के बाद शासकीय शब्द जोड़ा गया। जिन्होंने कमरा बनवाया, उनकी नेम प्लेट लगवाई गई। इस तरह से गुजरात में कई स्कूल बन गए। गांव वालों को प्राथमिक स्कूलों से जुड़ना होगा। शिक्षकों पर विश्वास करना होगा। शिक्षक भी अपनी जिम्मेदारी को समझें तो शिक्षण व्यवस्था बेहतर हो सकेगी।
दण्डित करने से नहीं दूर होंगी कमियां : राज्यपाल ने कहा कि निरीक्षण करके कमियों को ढूंढना होगा। दण्डित करके कमियों को दूर नहीं किया जा सकता। इसके लिए ट्रेनिंग दी जाए तो कमियां अपने आप दूर हो जाएंगी। उन्होंने 2001 में गुजरात में आई त्रासदी के बाद कैसे शिक्षा व्यवस्था व वहां की जर्जर व धराशायी हुई इमारतों को सुधारा गया, उसके बारे में बताया। उन्होंने कहा कि सारी जिम्मेदारी गांव के सरपंच व गांव वालों को दे दी गई कि आप लोग इमारतें दुरुस्त करवाइए। अधिकारियों ने कहा कि करप्शन होगा। लेकिन गांव वालों पर विश्वास किया गया। सारी इमारतें सही हो गईं, कहीं कोई गड़बड़ नहीं हुई। 80 करोड़ रुपए में से 73 करोड़ खर्च हुए और सात करोड़ रुपए गुजरात सरकार को गांव वालों ने काम कराने के बाद वापस कर दिया। 
इसके पहले प्रदेश के बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार डॉ. सतीश द्विवेदी ने विशिष्ट अतिथि के रूप में कार्यक्रम को सम्बोधित किया। उन्होंने कहा कि पिछले 20-30 सालों के अंदर प्राथमिक स्कूलों के शिक्षकों से गांव वालों का संवाद कम हुआ है। जिससे शिक्षा के स्तर में गिरावट आई है। प्रदेश सरकार ने गांव की महिलाओं को प्राथमिक स्कूलों के मिड-डे-मील योजना से जोड़ने का जो काम शुरू किया है, वह भी अपने उद्देश्य में कामयाब नहीं हो पा रहा है। उन्होंने जनता से आह्वान किया कि आप एक मंत्री व अधिकारी के रूप में अपने गांव के प्राइमरी स्कूल की निगरानी करें। इस मौके पर विधायक देवमणि द्विवेदी, सीताराम वर्मा, एमएलसी शैलेन्द्र प्रताप सिंह, समाजसेवी करतार केशव यादव डॉ आर ए वर्मा डॉ जे पी सिंह डॉ  रमेश ओझा डॉ आर के मिश्रा राकेश सिंह पालीवाल सहित सैकड़ों सम्भ्रांत जनपद के लोग  मौजूद रहे।