उत्तर प्रदेश पॉवर कार्पोरेशन लिमिटेड के पूर्व एमडी एपी मिश्र की गिरफ्तारी के बाद अभी कुछ और अफसर भी ईओडब्ल्यू के रडार पर हैं। जांच में तेजी से उन अफसरों में खासी बेचैनी है जो डीएचएलफ में निवेश की अवधि में जिम्मेदार पदों पर तैनात रहे हैं। ईओडब्ल्यू ने जांच का दायरा बढ़ाते हुए डीएचएलएफ के एरिया मैनेजर को भी पूछताछ के लिए बुलाया है।
प्रदेश पुलिस के आर्थिक अपराध अनुसंधान संगठन (ईओडब्ल्यू) को शक्ति भवन में द्वितीय तल पर स्थित उत्तर प्रदेश स्टेट पॉवर सेक्टर इम्प्लाइज ट्रस्ट और उत्तर प्रदेश पॉवर कार्पोरेशन अंशदायी भविष्य निधि ट्रस्ट के कार्यालय से सभी जरूरी पत्रावलियां मिल चुकी हैं। इससे इन दोनों ट्रस्टों में जमा होने वाली बिजली कर्मचारियों के जीपीएफ व सीपीएफ की धनराशि के एक बड़े हिस्सा का एक असुरक्षित निजी संस्था (डीएचएलएफ) में निवेश किए जाने की पूरी प्रक्रिया सवालों के घेरे में आ रही है। ईओडब्ल्यू ने गंभीर कपट अन्वेषण कार्यालय (एसएफआईओ) से भी जांच में सहयोग मांगा है। इसके लिए संस्था को पत्र भेजा गया है। ईओडब्ल्यू आरोपी अफसरों के परिवार की संपत्तियों का ब्योरा भी जुटा रही है, क्योंकि मुकदमे में भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम की धारा बढ़ाई जा चुकी है।
प्रारंभिक जांच में ही स्पष्ट हो गया कि केंद्र सरकार की स्पष्ट गाइड लाइन के बावजूद तय मात्रा से अधिक धनराशि का असुरक्षित निवेश किया गया। सूत्रों के अनुसार जांच एजेंसी यह पता लगाने की भी कोशिश कर रही है कि निवेश प्रक्रिया से जुड़े अफसरों पर क्या किसी 'बाहरी' व्यक्ति का दबाव था? बुधवार को तीन दिनों की कस्टडी रिमांड पर लिए गए पॉवर कार्पोरेशन के तत्कालीन निदेशक (वित्त) सुधांशु द्विवेदी और तत्कालीन सचिव (ट्रस्ट) प्रवीण कुमार गुप्ता पूछताछ में यह सवाल भी शामिल होगा। इस घोटाले से संबंधित मुकदमा दर्ज होते ही सबसे पहले इन्हीं दोनों अफसरों को गिरफ्तार किया गया था। जांच आगे बढ़ने पर पॉवर कार्पोरेशन के तत्कालीन एमडी एपी मिश्रा की भी संलिप्तता पाए जाने के बाद उन्हें भी गिरफ्तार किया गया।